लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८भाग २१भ

39- नन्ही परी के नाम करण की योजना -

मां की आवाज सुनकर सभी लोग अपने अपने कमरे से बाहर आकर हॉल में बैठ गए।  श्रेया और श्रवन भी मां की आवाज सुनकर बाहर आए । उधर पिताजी भी अपने कमरे से निकल आए। इस समय सभी हाल में आ चुके थे। मां ने रक्षा को आवाज लगाई, और कहा- कि चलो खाना लेकर चलो और सभी लोग साथ में बैठकर खाना खाते हैं‌।  रक्षा मां के पास रसोई में गई और खाना लेकर आई उसके बाद उसने मां को भी बुलाया, और सभी लोगों को साथ में खाना परोसा। आज बड़े दिन बाद पूरी फैमिली साथ में बैठकर खाना खा रही थी। मां और पिताजी यह देखकर बहुत खुश हुए। खाना खाते-खाते मां कुछ कहना चाहती थी, तो पिताजी ने कहा- कि पहले खाना खा लो उसके बाद बात करते हैं।

पिताजी की बात मानकर चुप हो गई, और खाना खाने लगी। जब सभी लोग खाना खा चुके थे, तो मां और रक्षा बर्तन समेटने लगी । बर्तन समेटकर दोनों रसोई घर में ले गए, और टेबल को साफ किया।तब पिताजी ने सभी को वहीं बैठने के लिए कहा- पिताजी ने मां से भी बैठने को कहा-और सभी लोग जब खाना खाने के बाद फ्री होकर वहां बैठ गये, तो पिताजी ने बात को छेड़ा। पिताजी ने रक्षा की मां से कहा- कि अब बताओ...... तुम क्या कहना चाहती थी। मां बहुत सोच विचार कर बोली कि....... ठीक है.... मैं एक प्रस्ताव रखना चाहती हूं। आप सभी लोग बहुत ध्यान से सुनिए। पिताजी ने कहा- कि हां बताओ.... क्या बात है.. तब मां बोली..... कि नन्ही परी आज पूरे 10 दिन की हो गई है। मेरे मन में इस के नामकरण का विचार आ रहा है। अभी उसका कोई नाम नहीं रखा गया है,हमें उसे बुलाने में असुविधा होती है। और यह नामकरण का एक विधान भी है, जो बच्चे के जन्म के बाद करना ही होता है। इसी बहाने घर में पूजा पाठ भी हो जाएगा, और श्रेया की सलामती की दुआएं भी हो जाएंगी। पिताजी सुन रहे थे, पिताजी ने कहा- ठीक है.... मुझे इसमें क्या आपत्ति हो सकती है, और श्रवन से पूछ लो मां ने श्रवन की तरफ मुखातिब होकर पूछना चाहा....... तो श्रवन और श्रेया की तरफ देखा ......और श्रेया ने सहमति में सर हिला दिया। श्रेया और श्रवण की सहमति मिलने पर मां पिताजी से इसका प्रोग्राम बनाने के लिए बोली। पिताजी ने श्रवन से कहा कि यह सब तुम ही निश्चित करोगे, कैसे क्या करना है। श्रवन ने कहा- ठीक है ......मैं सोचता हूं, कैसे क्या करना है।

श्रेया और श्रवन कमरे में चले गए। बाकी सब लोग भी अपने-अपने कमरे में जाकर अपने काम में लग गए। श्रेया और श्रवन आपस में प्रोग्राम के लिए बात कर रहे थे, उन्होंने एक लिस्ट तैयार की। उसमें जिस जिस को बुलाना है उनके नाम लिखे, और फिर श्रवन ने वह सूची पिताजी को दे दी कि आप जिनको बुलाना चाहे उनके नाम इस में जोड़ दीजिए। तब तक रक्षा वहां आ गई और बोली भैया..... मैं भी अपनी सहेलियों को बुलाऊंगी, तो श्रवन ने कहा- कि हां तुम भी अपनी सहेलियों के नाम इस सूची में जोड़ दो। पिताजी के हाथ से सूची लेकर तुरंत उसने अपनी सहेलियों के नाम लिख दिए। सूची तैयार होते ही रक्षा ने ले जाकर सूची श्रवन को दे दी बोली भैया सूची तैयार हो गई है। मेहमानों की सूची मां को दिखाई और कहा- कि आप देख लीजिए, कोई छूट तो नहीं रहा है,या किसी का नाम और लिखना हो तो बताइए। मैं लिख दूंगा,मां ने कहा- ठीक है सूची यहां पर रख दो समय मिलते ही देखकर बताती हूं। उस समय मां रसोई में बिजी थी। मां जब फ्री हुई तो थोड़ा आराम करने चली गई। आराम करने के बाद जब मां उठी तो शाम की चाय का टाइम हो गया था। मां ने श्रेया को बाहर बुलाया, और रक्षा को चाय बनाने का आदेश दिया। मां ने रक्षा से कहा- सभी के लिए चाय बना कर ले आए। श्रेया बाहर आकर मां के पास बैठ गई, और इतने में रक्षा चाय बना कर ले आई। सभी ने चाय की चुस्कियां लेते हुए बातचीत शुरू की। मां ने उस लिस्ट को एक बार देखा, और अपनी बहू के साथ डिस्कशन किया जिस जिस को बुलाना था सबके नाम है कि नहीं है उस लिस्ट में। मां को दीपक और रानी का नाम नहीं दिखा। मां ने कहा- क्या दीपक और रानी को नहीं बुलाना है। श्रेया बोली- उनको  बुलाना तो बहुत जरूरी है, उन दोनों को कैसे भूल सकते हैं। यह सुनकर मां बोली तो जल्दी से उनका नाम लिस्ट में लिखो। जल्दी से उनका नाम लिस्ट में जोड़ा गया। श्रेया बोली मां मैं दीपक को कैसे भूल सकती हूं। उनके रक्तदान से मेरी जान बची है, उसके लिए तो मैं उनकी आजीवन ऋणी रहूंगी।लिस्ट में दीपक रानी का नाम भी जोड़ दिया गया। लिस्ट पूरी होते ही  मां ने लिस्ट श्रवन  को दे दी। अब बारी थी,खाने का मीनू डिसाइड करने की क्या क्या बनवाया जाए। तो मां, श्रेया और रक्षा तीनों ने बैठकर एक लिस्ट तैयार की, और कुछ नये पकवान बताएं। मां ने उन पर स्वीकृति देकर उसको लिस्ट में शामिल किया। इस तरह खाने का मीनू भी तैयार हो गया रक्षा ने कहा- मां इस समय गर्मी के दिन हैं,  इस समय बहुत ज्यादा चीजें बनवाने की जरूरत नहीं है। जो बने वह अच्छा बनें। क्योंकि गर्मी का समय है उस को ध्यान में रखते हुए ही मीनू तैयार करेंगे।कहते कहते रक्षा चुप हो गई,उसे लगा कि वह कुछ ज्यादा बोल गयी। रक्षा के चुप होते ही मां और श्रेया एक साथ बोल पड़ी, कि नहीं नहीं रक्षा बिल्कुल सही कह रही है। क्योंकि इस समय कुछ भी बचेगा तो जल्दी खराब हो जाएगा और बरबाद करने से तो अच्छा है कि हिसाब से काम लिया जाए। हां...… हां...... मां बोली, ठीक है।

दोनों लिस्ट तैयार हो गई थी।श्रवन के आने पर मां ने दोनों लिस्ट श्रवन को पकड़ा दी। और कहा-  यह लो तुम्हारी मेहमानों की लिस्ट और खाने का मीनू दोनों तैयार कर दिया है।अब सिर्फ़ पंडित जी के सामान की लिस्ट रह गई है, तो वह रक्षा कर लेगी। रक्षा पंडित जी से फोन पर बात करके लिस्ट मंगवा लेगी। दिन निश्चित करने के लिए भी पंडित जी से शुभ मुहूर्त पूछना पड़ेगा। मां ने कहा- अभी रक्षा से पंडित जी को फोन करवाते हैं। मां ने रक्षा से कहा- कि पंडित जी को फोन लगाओ,और उनसे शुभ मुहूर्त किस दिन है। पूछो- कि किस दिन यह फंक्शन और पूजा पाठ रखा जाए।

रक्षा ने पंडित जी को फोन लगाया। और

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5 Comments

Mithi . S

24-Sep-2022 06:16 AM

Bahut achhi rachana

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Bahut khoob 💐👍

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Sushi saxena

23-Sep-2022 10:41 AM

Very nice

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